
‘सेवक’ पप्पू निषाद का चुनाव खुद लड़ रहे हैं उनके ‘मालिक’

- राज्य सरकार में मंत्री रहने के बावजूद पप्पू को नहीं छू पाया अहंकार
- पप्पू का मधुर व्यवहार आज भी लोगों के दिलों में बना रहा स्थान
- इसी व्यवहार की बदौलत लगातार बढ़त बनाए हुए हैं पप्पू निषाद
- जनता का मिल रहा है असीम प्यार, डंके की चोट पर वोट का वादा
रिपोर्ट : अरुण कुमार सिंह।
62 लोकसभा संतकबीरनगर में चल रहे चुनाव में गठबंधन के प्रत्याशी पप्पू निषाद का चुनाव खुद जनता लड़ती नजर आ रही है। पप्पू अपने मधुर व्यवहार की बदौलत लगातार लोगों के दिलों में जगह के साथ बढ़त भी बना रहे है। नतीजा यह है कि जनता न सिर्फ उनको प्यार दे रही है, बल्कि डंके की चोट पर वोट का भी वादा कर रही है।
पप्पू निषाद की यह आदत रही है कि चाहे वह पद पर हों, या न हो, जब भी कोई उनसे मिला तो उन्होंने उसके साथ अहंकार से बात नहीं किया। चाहे छोटा आदमी हो या बड़ा , हर व्यक्ति को मालिक कहकर ही संबोधित करते हैं। जनता को मालिक कहने की उनकी शैली प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही उनको लगातार बढ़त पर ले जा रही है । कोई भी ऐसा दिन नहीं गया जब पप्पू के वोटों में किसी कारणवश कमी हुई हो। पप्पू रोज बढ़त पर हैं। पप्पू के चरित्र पर ऐसा कोई दाग नहीं है, जिसकी बदौलत विरोधी उनके उपर उंगली उठा सकें। एक मुकदमा है जो राजनैतिक था, अदालत में हाजिर न होने के चलते उन्हें जेल जाना पड़ा था। इसके अतिरिक्त कोई भी ऐसा लांक्षन नहीं है जो जनता के साथ ही विपक्षी उनके उपर लगाएं। वह हमेशा अपने क्षेत्र की जनता के बीच रहे हैं। चाहे वह पद पर हों या फिर न हों। लोगों के साथ अकेले घूमें हैं, मोटरसाइकिल पर घूमे हैं। कोई अहंकार है ही नहीं। विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ भी उनके संबंध अच्छे ही हैं। महातम राय जब भाजपा के जिलाध्यक्ष थे तब वह उनकी कार्यकारिणी में भी थे। कुल मिलाकर उनकी सहजता, सरलता, सादगी और सर्वसुलभता का लाभ उनको लगातार मिल रहा है। उनके पैरों के नीचे जमीन भी है, और उनको अपने मालिकों पर यकीन भी है। जिसके चलते उनकी बढ़त लगातार बनी हुई है।
गरीब भी दे रहे पप्पू को चंदा
गठबंधन के प्रत्याशी पप्पू निषाद की आर्थिक स्थिति की जानकारी सभी को है। जहां भी पप्पू जा रहे हैं उनको वोट देने का वादा करने के साथ जेब में अपनी हैसियत के हिसाब से कुछ चन्दा भी दे रहे हैं। वह कहते हैं कि हम जानते हैं नेताजी आपकी ईमानदारी, आपके पास कुछ है नहीं। आपने कमाया नहीं है, हमेशा लोगों के बीच बांटा ही है। महिलाएं तो जबरदस्ती उनके जेब में अपने बचाकर रखे रुपयों में से कुछ न कुछ जरुर दे रही हैं, यह कहकर कि बाबू तोहार लड़ाई बहुत धन्नासेठ से बाय, एका रखि ला, काम आई। अगर वह प्रतिरोध करते हैं तो महिलाएं यहां तक कहती हैं कि जा बाऊ जीती जायो तै दे दिहा। इतना होते ही जहां एक तरफ महिलाओं की आखें बरसने लगती हैं तो पप्पू की भी आंखों से आंसू अनायास ही निकल जाते हैं। जो उनकी लोकप्रियता का एक बड़ा उदाहरण है।
पप्पू के बिना जब भी पार्टी लड़ी, उसे मिली हार
लक्ष्मीकान्त उर्फ पप्पू निषाद की स्थिति यह रही कि पार्टी जब भी उनको दरकिनार किया , उसको हार का सामना करना पड़ा । लक्ष्मीकान्त उर्फ पप्पू निषाद की स्थिति यह रही कि 2012 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया था। इस बात का उन्होंने विरोध भी नहीं किया था। लेकिन जब अखिलेश अपना चुनावी रथ लेकर मेंहदावल विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे और उन्होंने समर्थकों में पप्पू निषाद के प्रति प्यार देखा तो नेता मुलायम सिंह यादव से बात करके सपा नेता जयराम पांडेय का टिकट रथ पर खड़े खड़े ही काट दिया और उसी रथ से पप्पू निषाद को टिकट देने की घोषणा कर दी। चुनाव में उनके विरोध में पार्टी के लोगों ने ही प्रचार किया , लेकिन इसके बावजूद पप्पू निषाद भारी मतों से जीते। जीतने के बाद उन्हें प्रदेश में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। खाद्य रसद मंत्री रहते हुए उन्होंने राशन वितरण प्रणाली में व्यापक सुधार कराया। बाद में उन्हें कैबिनट मंत्री पद से हटाकर मंत्री की सारी सुविधाओं को बहाल रखते हुए सेतु निगम का अध्यक्ष बनाया गया। बहुत ही सरल व्यवहार के स्वामी पप्पू निषाद का टिकट 2017 में सपा ने भ्रम के चलते काट दिया। नतीजा यह रहा कि वहां पार्टी प्रत्याशी रहे, जयराम पांडेय को हार का सामना करना पड़ा। 2022 में जयराम को फिर प्रत्याशी बनाया गया लेकिन जनता ने फिर उन्हें नकार दिया। वर्तमान लोकसभा चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने आंकलन कराया तथा पप्पू निषाद को बुलाकर उन्हें टिकट दिया, जबकि धन के अभाव के चलते वह टिकट की दौड़ में शामिल ही नहीं थे। पार्टी
राजनीति से पप्पू ने कमाया केवल नाम
सपा सरकार में मंत्री तक का दर्जा पाने वाले पप्पू ने कभी कोई कमाई नहीं की। हमेशा एक गाड़ी और स्कोर्ट लेकर चले, जो उनकी मजबूरी थी। कभी उनके साथ फौज नहीं रहती थी। उन्होंने उस लूटपाट के दौर में भी गलत तरीके से धन अर्जित नहीं किया। इतना जरुर था कि उन्होंने जनता के बीच नाम कमाया, जिसका लाभ उनको चुनाव में मिल रहा है।