
बालिका शिक्षा एवं बालिका सुरक्षा आज के समय की सबसे बड़ी मांग- सोनिया

संतकबीरनगर
शिक्षा सभी का अधिकार है और यह सभी के लिए आवश्यक भी है। हमेशा से नारी शिक्षा का विशेष आवश्यकता रही है बालिका शिक्षा एवं सुरक्षा का हमारे देश में अत्यंत महत्व है। ग्रामीण अंचलों में अभी भी बालिका शिक्षा की स्थिति अत्यंत सोचनीय है आज भी बहुत सारे घरों में लड़के तथा लड़कियों की शिक्षा में भेदभाव किया जाता है। कुछ अभिभावक सोचते हैं कि लड़कियां बहुत ज्यादा पढ़ लिख कर क्या करेंगी उनको तो घर का कामकाज ही करना है शादी विवाह करके दूसरे के घर जाना है।और हम लड़कों को अच्छे स्कूल में पढ़ाएंगे तो लड़का अच्छी नौकरी पाकर हमारा सहारा बनेगा। लेकिन अब अभिभावको को अपनी सोच और मानसिकता बदलने की आवश्यकता है । बालिकाओं की भी यदि उचित शिक्षा दीक्षा की व्यवस्था दी जाए तो वह भी शिक्षा ,स्वास्थ्य ,खेल , राजनीति में अच्छा प्रदर्शन करेंगी और यह काम केवल बालिका शिक्षा के प्रोत्साहन से ही संभव है। शिक्षा ही एकमात्र साधन है जो जिससे बालिकाएं सशक्त बन सकती हैं और हमारा समाज मजबूत होगा और समाज में लैंगिक समानता आएगी इसके लिए समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता लाना होगा ।एक शिक्षित बालिका समाज के विकास में बहुत योगदान देती है। शिक्षा ना केवल मन को जागृत करती है बल्कि आत्मनिर्भर भी बनाती है। बालिका सशक्तिकरण की प्रथम सीढ़ी बालिका शिक्षा ही है बालिका शिक्षा से बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है। बालिकाएं शिक्षा के सभी आवश्यक स्तरों को पूरा करें । समान स्तर की प्रतिस्पर्धा दिखाने के लिए अतिरिक्त कौशल व दक्षता सीखे। बालिका शिक्षा संस्कृति में भी परिवर्तन लाती है बालिकाओं को शिक्षित करने से बहुत लाभ है एक पढ़ी-लिखी लड़की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है एक लड़की पुरुषों के भार को विभिन्न क्षेत्रों में साझा कर सकती है ।शिक्षा विचारों में भी व्यापकता तथा विस्तार लाती है क्योंकि लड़कियां बेहतर काम कर सकती हैं। बेटियां ज्यादा शिक्षित होंगी तो जनसंख्या का बोझ उतना ही कम होगा और हमें बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के नारा को धरातली स्तर पर लाना होगा आए दिन हम को सुनने को मिलता है कि छात्रा ने छेड़छाड़ से तंग आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली जिसमें यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़, बाल विवाह भी बालिका शिक्षा के बीच दूरी बढ़ाने का काम करते हैं और इस तरह की विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना बालिकाओं को करना पड़ता है जिसमें तो कुछ बालिकाएं से तंग आकर आत्महत्या करती हैं। बालिका की सुरक्षा के लिए हम सिर्फ सरकार या प्रशासन के भरोसे नहीं रह सकते हैं बल्कि यह हमारा सामूहिक उत्तरदायित्व भी है इसके लिए सभी को एक साथ आगे आना होगा इसमें सरकार, प्रशासन, समाज सेवी संगठन, बाल समितियों को मिलकर एक साथ काम करना होगा आइए हम सब मिलकर इस 74 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बालिकाओं की शिक्षा व सुरक्षा का संकल्प लें और अपने सामर्थ्य के अनुसार अगर हम शिक्षक हैं तो कम से कम 10 बालिकाओं की शिक्षा बीड़ा उठाएं उनको शिक्षित करने की जिम्मेदार ले। जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। तो निश्चित रूप से समाज में बदलाव होगा ।और आर्थिक रूप से कमजोर जरूरतमंद बालिकाएं शिक्षा से वंचित नहीं रहेंगी और इस पुनीत कार्य में हम सभी को अपना योगदान देना चाहिए तथा बालिका शिक्षा और सुरक्षा में अपना कदम बढ़ाना चाहिए।










