
दिखे हैं भांति भांति के लोग
गुज उठा राजनीति का शोर
लेकिन यकीन न करना
इनको पूरा परखना, बाद में
फिर देना सब वोट, ।
दिखे हैं भांति भांति के लोग।

सर पे टोपी गोल कभी होगा भगवे का गमछा
जुबा पे होंगे राम कभी बोलेंगे ये सब अल्लाह
इनकी कोई जाति नहीं, ये हैं बारिष के मोर
दिखे हैं भांति भांति के लोग।
फेंकेगे वादों को जैसे बुमराह की हो गेंद
लग जाये तो बाउंडरी न लगे तो हो जाये बोल्ड
कभी आंख में पानी तो कभी लगे ठहाके जोर
दिखे हैं भांति भांति के लोग।
आज लेट के पाव पड़े जो पास खड़े नही होते हैं
ये लोटे बिन पेंदी के जो सदा ही टेढ़े रहते हैं
इनकी बातों में मत आना, ये एक्टर बड़े बेजोड़
दिखे हैं भांति भांति के लोग।
नित्यानन्द त्रिपाठी
खलीलाबाद, संत कबीर नगर, उत्तर प्रदेश।