

बस्ती
बदलते परिवेश में होली की फ़ाग गीत के प्रति जहां युवा पीढ़ी का रुझान कम हो रहा है, वहीं अपनी धरोहर को संरक्षित करने का कार्य जनपद की अग्रणी सामाजिक संस्था बस्ती विकास समिति कर रही है।
इसी कड़ी में समिति की बैठक समिति कार्यालय पर सम्पन्न हुई। बैठक में आगामी 08 मार्च को फ़ाग उत्सव कराने का निर्णय लिया गया।
बैठक को सम्बोधित करते हुए समिति संरक्षक डा वीरेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि लुप्त होती परम्परा फ़ाग जनपद की पहचान है इसी मडंल के धरती से फ़ाग गीतों के रचयिता रंगपाल की भूमि पर पुनः बस्ती विकास समिति ने फ़ाग को जीवंत करने का बीड़ा उठाया है।
संरक्षक संतोष सिंह ने कहा कि भंग और रंग में सरोबार होकर पूरे वर्ष के गिले शिकवे भूल ढोल मंजीरों के साथ टोली बनाकर एक दूसरे के घर जाकर होली के लगभग एक माह पूर्व से ही फ़ाग गीतों का गाना नाचना अब सपना होता जा रहा है।
समिति के संस्थापक अध्यक्ष राहुल श्रीवास्तव राजाभइया ने कहा कि रंग गुलाल की चर्चा के साथ हँसी ठिठोली का महीना फागुन आज की पीढ़ी में लुप्तप्राय होता जा रहा है इसी को ध्यान रखते हुये फ़ाग उत्सव करने का निर्णय लिया गया।
समिति के उपाध्यक्ष अंकुर वर्मा जी ने कहा फ़ाग उत्सव के माध्यम से प्राचीन परम्पराओ को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है।
संरक्षक एवं राज्य ललित कला अकादमी के सदस्य डॉ नवीन श्रीवास्तव ने कहा कि प्राचीन परंपरा को पुनर्स्थापित करने की दिशा में इस सार्थक पहल है।
बैठक में प्रमुख रूप से डा अजीत कुमार कुशवाहा, डॉ कुलदीप सिंह, भक्तिनारायन श्रीवास्तव, सूर्या उपाध्याय, अमित श्रीवास्तव, अनुराग शुक्ल, सौरभ दूबे, राजेश चित्रगुप्त, डॉ सिम्मी भाटिया, रामविनय पाण्डेय, अनिल पाण्डेय, अमर सोनी, सौरभ श्रीवास्तव, प्रदीप, पवन वर्मा, दिलीप कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
रिपोर्ट::: राहिल खान
बस्ती यूपी।
