
विशेष निगरानी में हैं जेई/ एईएस को लेकर संवेदनशील गांव
– जिले में हैं कुल 28 संवेदनशील गांव, 5 गांव उच्च प्राथमिकता वाले
– स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांवों में निरन्तर जाकर कर रही हैं जागरुक
संतकबीरनगर। 14 जुलाई 2019
जितेन्द्र चौधरी


जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) व एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) को लेकर स्वास्थ्य महकमा जिले के संवेदनशील गांवों की विशेष निगरानी कर रहा है। जिले के कुल 28 गांव संवेदनशील हैं, जिनमें 5 गांव उच्च प्राथमिकता वाले हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांवों में जाकर निरन्तर लोगों को जागरूक करने में लगी हुई हैं,ताकि इसके प्रभाव को रोका जा सके।
सीएमओ डॉ हरगोविन्द सिंह ने बताया कि जेई/एईएस को लेकर जिले के संवेदनशील गांवों में विशेष नजर रखी जा रही है। इन गांवों में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ ही जेई/ एईएस के विशेषज्ञ व बाल रोग विशेषज्ञों की टीम के साथ ही अन्य लोग निरन्तर जाकर ग्रामीणों के साथ गोष्ठियां कर रहे हैं। गोष्ठियों के साथ ही वहां पर फागिंग व अन्य जागरूकता की गतिविधियां निरन्तर हो रही हैं। लोगों को यह भी बताया जा रहा है कि अगर किसी को भी बुखार हो तो वह तुरन्त 102 या 108एम्बुलेन्स को डायल करके बुला ले, ताकि उसका त्वरित उपचार किया जा सके। इन गांवों के लोग इस कदर जागरूक हो गए हैं कि किसी को भी हल्का सा बुखार होता है तो वे तुरन्त नजदीकी प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर इलाज कराते हैं। इन गांवो में राज्य मुख्यालय से आई हुई एलईडी वैन के जरिए जेई और एईएस पर बनी फिल्में भी दिखाई जा रही हैं।
एईएस / जेई से प्रभावित विशेष गांव
उच्च प्राथमिकता वाले 5 गांव– हैसर बाजार ब्लाक का बड़गों, खलीलाबाद ब्लाक का आजमपुर, मेहदावल ब्लाक का कौवाठोर तथा नाथनगर ब्लाक के छितहीं तथा महुली खास गांव हैं।
प्रथम प्राथमिकता वाले 3 गांव – बघौली ब्लाक का करौंदा गांव, खलीलाबाद ब्लाक का खलीलाबाद देहात ( मड़या ) व सांथा ब्लाक के धर्मसिंहवा गांव हैं।
द्वितीय प्राथमिकता वाले 20 गांव– बघौली ब्लाक के हरदी, अमरडोभा व जामडीह गांव। हैसरबाजार के चपरा मशरिकी, नेटवाबार, नैनिहा नायक व तामां गांव । नाथनगर ब्लाक के नाथनगर तथा हरिहरपुर गांव। पौली ब्लाक के छपरा मगरबी,पौली तथा नाखी नगुही गांव। सेमरियांवा ब्लाक के दुधारा, सेमरियांवा, उमिला, भेलवासी, बूधा कला,पैली खास गांव । खलीलाबाद के मगहर व सांथा का परसाशुक्ल गांव है।
क्या हैं जेई/एईएस संवेदनशील गांव
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह बताते हैं कि जेई व एईएस को लेकर संवेदनशील गांवों का चयन वर्ष 2017 में किया गया था। जिसमें वर्ष 2013 से लेकर 2016 के दौरान जेई और एईएस प्रभावित गावों को लेकर किया गया था। इसमें वे गांव शामिल थे जिनमें विगत वर्षों में लगातार मरीज पाए गए हो, गांव में इस दौरान कोई मृत्यु हुई हो या फिर लगातार प्रभावित रहे हों।