
नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को अमेरिकी दौरे से पहले करारा झटका लगा है। अमेरिका कड़े शब्दों में कहा है कि लश्कर-ए-ताइबा और अल कायदा के आतंकियों के खिलाफ पाक ठोस और निर्णायक कार्रवाई करे वर्ना उसे अमेरिका से सुरक्षा सहायता पर लगी रोक बरकरार रहेगी।
दरअसल, पाकिस्तान ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद को गिरफ्तार कर अमेरिका को खुश करने की कोशिश तो बहुत की, मगर अमेरिका इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी, 2018 में ही पाक को मिलने वाली सुरक्षा सहायता पर रोक लगा दी थी। ट्रंप प्रशासन काल के दौरान यह किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का पहला उच्चस्तरीय दौरा होगा। माना जा रहा है कि पाक पीएम का यह दौरा दोनों देशों के रिश्तों में नई जान फूंकने जैसा होगा।
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने पाकिस्तान पर एक नई रिपोर्ट में कहा, पाकिस्तान कई इस्लामी चरमपंथियों एवं आतंकी समूहों का पनाहगाह है और पाक की कई सरकारों ने इन आतंकी समूहों को बर्दाश्त किया। इनमें से कई आतंकी समूहों नेे पाकिस्तान के उसके पड़ोसियों के साथ ऐतिहासिक लड़ाईयों में नुमाइंदगी भी की है। 15 जुलाई को पेश की गई इस रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान पर पहले की सरकारों के मुकाबले ज्यादा सख्त रुख अपनाया है और वित्तीय मदद में कटौती करने और सुरक्षा संबंधित सहायता रोकने जैसे कदम उठाए हैं।
लश्कर और आईएस अब भी सक्रिय
रिपोर्ट के मुताबिक, पाक में 2014 से चल रहे सैन्य अभियानों से घरेलू आतंकवाद में काफी कमी आई है। हालांकि, लश्कर जैसे खतरनाक आतंकी समूह वहां अब भी संचालित हो रहे हैं। अल कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों ने पांव पसार रखे हैं।
परमाणु युद्ध छिड़ने का खतरा
पाक की भारत से कायम है दुुश्मनी, परमाणु युद्ध छिड़ने का खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक, पाक ने भारत से दुश्मनी बरकरार रखी है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को हर वक्त डर लगा रहता है कि कहीं दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच जंग न छिड़ जाए। पाक हमेशा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीरियों की हक का मुद्दा उठाता रहा है, जबकि भारत का कहना यह है कि जब तक पाक में भारत विरोधी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है तो वह ऐसी किसी शांति वार्ता के लिए राजी नहीं होगा।
कौन है सीआरएस
सीआरएस अमेरिकी कांग्रेस की स्वतंत्र एवं द्विपक्षीय शोध शाखा है जो सांसदों के हित के मुद्दों पर समय-समय पर रिपोर्ट तैयार करती है ताकि वे सूचना के आधार पर निर्णय कर सकें। इसकी रिपोर्ट क्षेत्र के विशेषज्ञ तैयार करते हैं और इसे कांग्रेस का आधिकारिक विचार नहीं माना जाता है।
लादेन को पनाह देने के चलते संबंधों में आई थी खटास
सीआरएस की हालिया रिपोर्ट में सांसदों को बताया गया कि 2011 में खुलासा हुआ था कि अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन कई वर्षों तक पाकिस्तान की शरण में रहा, जिससे अमेरिकी सरकार को द्विपक्षीय संबंधों की गहन समीक्षा करनी पड़ी। इससे दोनों देशों के रिश्तों में काफी खटास भी आ गई थी।