
रेती पर जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी।
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।


मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक के निकट जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी का आयोजन हुआ। बतौर मुख्य अतिथि न्यू मुंबई के मुफ़्ती जमालुद्दीन ने अवाम को संबोधित करते हुए कहा कि इस्लामी क़ानून नैतिक विकास, न्याय, सामानता, कल्याण और संतुलन को बढ़ावा देता है इसमें स्वस्थ परिवार बनाने की क्षमता है जो समाज के अस्तित्व के लिए बुनियादी शर्त है। इस्लामी क़ानून औरतों के सम्मान की सुरक्षा करता है यह उनके अधिकारों को स्थापित करता है उनके लिए उनकी व्यापक स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है। शरीअत के उल्लघंन का मूल कारण मुसलमानों में बड़े पैमाने पर अज्ञानता और इस्लामी मानदंडों के प्रति गंभीर अप्रतिबद्धता है।
अध्यक्षता करते हुए मरकजी मदीना जामा मस्जिद के इमाम मुफ़्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि दुनिया में मुसलमानों को कयादत इसलिए मिली की उन्होंने इल्म के साथ अख़लाक़, इंसानियत को साथ रखा। आज यूरोप सहित तमाम देशों के पास इल्म तो है मगर इंसानियत, अख़लाक़ का ज़नाज़ा निकल चुका है। जिसका ख़ामियाजा हमें आज नज़र आ रहा है। पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहाबा किराम को सिर्फ इल्म ही नहीं बल्कि तौहीद, अख़लाक़, किरदार, इंसानियत की भी तालीम दी। मुसलमान इल्म जरूर हासिल करें साथ ही अख़लाक़, किरदार और इंसानियत की तालीम भी हासिल करें। वक्त की कद्र करें। उलमा किराम व उस्ताद का अदब करें। क़ुरआन-ए-पाक व हदीस-ए-पाक पढ़ें, समझें और उसमें गौर फिक्र करें। अगर इल्म के साथ उक्त सारी चीजें आ गईं तो कयादत फिर से हमारी होगी।