
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद असलम रज़वी ने बताया कि रमज़ान का मकसद खुद को गलत काम करने से रोकने की ताकत पैदा करना या उसे पुनर्जीवित करना है। शरीअत की जबान में इस ताकत को ‘तक़वा’ कहा जाता है। रोज़े में इंसान खुद को रोक लेता है। उसके सामने पानी होता है, लेकिन सख्त प्यास लगी होने के बावजूद रोजेदार उसे नहीं पीता। गलत बात होने के बावजूद खुद को गुस्सा होने से रोकता है। झूठ बोलने और बदनिगाही से परहेज करता है। ज़िंदगी में सारे गुनाह इसीलिए होते हैं, क्योंकि इंसान खुद को गलत काम करने से रोक नहीं पाता। सिर्फ जानकारी की कमी की वजह से अपराध नहीं होते, बल्कि जानकारी होने के बावजूद खुद पर काबू नहीं रख पाने की वजह से उससे गुनाह हो जाते हैं।