
पाई – पाई जोड़कर किया महल तैयार
आज उसमे रह रहे है हजारो बेरोजगार
संत कबीर नगर

महानता उनकी नही जो बनी बाजार और महलो मे पैदा होकर कुछ कर गुजरते है यह उनका सौभाग्य है महानता उनकी होती है जो खुद की दुनिया बसा कर कुछ कर गुजरते है ।
आज के आधुनिक दौर मे बिजनेस की प्राथमिकता इतनी है कि लोग अपनो के लिए भी वक्त निकाल नही पाते है उनके लिए प्रकृति प्रदत्त वक्त ( दिन और रात ) कम पड़ जाते है कंपनी आफिस फील्ड वर्क से लेकर बिजनेस की तमाम जिम्मेदारियां उन्हे घेरे रहती है । ऐसे मे अगर कोई बिजनेसमैन गरीब मजलूम के लिए वक्त निकाल कर खुद के साथ अन्य लोगो को साथ लेकर अगर सेवा मदद करता है तो निश्चित रूप से उसे किसी अवतार किसी महापुरुष किसी नेक दिल इन्सान किसी मसीहा किसी समाज सुधारक किसी समाजसेवी और ऐसे जाने कितने सम्मानजनक उपाधियो से नवाजा जाने लगता है । इतिहास भी इस बात का गवाह है जो लोग मानव समाज के लिए कुछ कर गये है उन्हे भगवान जैसे भावित भावो से देखा व जाना गया है । वे लोग किसी और मिट्टी के बने हुए रहे होंगे जो दुनिया के चकाचौध से दूर रहकर मानव समाज के लिए ऐतिहासक कार्य कर गये होंगे । इन्ही उपाधियो की भांति किन्ही विशेष स्थानो मे एक नाम और जुड़ने को आतुर है वह नाम है रीलेक्सो डोमस्वेयर कंपनी के युवा निदेशक अब्दुल्लाह खान की ” जिनका मानना है कि इन्सानो की फितरत मे सेवा मदद एक आदत होनी चाहिए ” जो अपने बल पौरुष से सौ करोड़ का टर्न ओवर का अगरबत्ती , नील , डिटर्जेंट पाउडर , बाम , कफ सिरप इत्यादि उत्पादन की कंपनी तैयार किया जिसमे छोटे पैमाने पर इनकम का स्रोत जुड़ा हुआ है लेकिन एक अच्छे उत्पाद ने उन्हे एक सफल बिजनेसमैन बना दिया है । आज उनका कारोबार देश के तमाम राज्यो मे ही नही विदेश की धरती तक पहुंच गया है । ऐसे मे सोचा जा सकता है कि ऐसे बिजनेस को तैयार करने मे उन्हे कितना वक्त काम करना पड़ता होगा । बावजूद जिन्दगी के प्राथमिक शिक्षा से रोजी – रोजगार के लिए संघर्षरत अब्दुल्लाह खान के पास ऐसे भी वक्त निकल जाते है जिसे इंसानियत का वक्त कहा जाता है । अपने चवन्नी – अठन्नी पैसो की इनकम को संजोते हुए उसे ऐसे कामो मे भी प्रयोग कर रहे है जिसे सामाजिक स्तर पर धार्मिक मान्यता पर इंसानी फर्ज पर सेवा और मदद कहते है । चाहे वह सूफी सन्त कबीर दास महानिर्वाण स्थली मगहर मे ” भूखे को भोजन नंगे को चीर ” प्रेरणा से संचालित सद्गुरु कबीर भोजन सेवा व्यवस्था एवं वस्त्र दान हो चाहे यथा समय गरीब मजलूमो की सेवा और मदद हो जिसका एक और उदाहरण निजी कारोबार मे सफलता देने वाला महाराष्ट्र का सुप्रसिद्ध स्थान नाशिक है जहां के गरीब मजलूमो मे बतौर स्वभाव कम्बल वितरण , सिविल अस्पताल के निस्सहाय गरीब मरीजो मे नाश्ते की व्यवस्था एवं निःशुल्क नेत्र परीक्षण , जांच एवं दवा का स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया । यही नही देश के संविधान के प्रचार – प्रसार मे भी असीम योगदान दिया जा रहा है अभी हालिया मे ही जनजागरूकता के क्रम मे भारतीय संविधान के प्रचार – प्रसार के लिए मारुति ओमनी कार भेंट किया गया है । जिन किसानो की समस्या को दूर करने मे सरकार हीलाहवाली करती रहती है उन तंग हाल किसानो के लिए व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने का नाकाम कोशिश करते रहे है जिसमे उन्हे निःशुल्क केले पपीते का पौधा उपलब्ध कराकर बतौर उदाहरण व्यवसायिक खेती का प्रेरणा भी देते है । प्रकृति से विशेष लगाव है वह किस तरह से संतुलित रहा करेगी उस पर ध्यान देते हुए पौधारोपण का भी कार्य करवाते है । जीवन सरल स्वभाव से ओतप्रोत ” पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय । ढाई आखर प्रेम का पढै सो पंडित होय ” भाईचारे और प्रेम बंधुत्व से बंधा हुआ है ।