



सन्त कबीर नगर – रिपोर्ट जी एल वेदांती :- आजीविका मिशन के तहत ग्रामीण रोजगार के मुहिम मे स्वयं सहायता समूहो को प्राथमिकता के रूप मे भले ही देखा जा रहा है़ लेकिन इनकी जिम्मेदारियो मे मिले दायित्व की अनदेखी के साथ उदासीनता बरती जा रही है़ बतौर उदाहरण स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर बने सामुदायिक शौचालय की वह जिम्मेदारी है़ जिसमे पूर्व के जुलाई माह मे देखभाल व मेन्टेनेन्स खर्च के रूप मे स्वयं सहायता समूह को दिया गया एकमुश्त सत्ताइस हजार का भुगतान है़ । जिसमे उदासीनता ने सारी हदे पार करते हुए अर्ध निर्मित सामुदायिक शौचालयो के संचालन का रूप दिखा दिया । यही नही रही सही कसर स्वयं सहायता समूह पूरा कर दे रहा है़ संचालन के नाम पर ताला लटकाया जा रहा है़ ।
उल्लेखनीय है़ कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर सामुदायिक शौचालय की व्यवस्था जहां बतौर कमीशन निर्माण कार्य मे अधूरापन के साथ उदासीनता के भेट चढ़कर अपनी प्राथमिकता को खो रहा है़ वही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर गठित स्वयं सहायता समूह अपने शुरुआती दौर से ही लापरवाही को अंगीकार करते हुए जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है़ । सामुदायिक शौचालय के देखभाल और मेन्टेनेन्स खर्च की जिम्मेदारी मे कदाचित को छोड़ संचालन को ताख पर रख दिया गया है़ । ऐसे मे यह सवाल उठना लाजिमी है़ कि बेहतर जागरूकता एवं आत्मनिर्भरता की दरकार मे स्वयं सहायता समूह का समस्त विभागो के साथ समन्वय की स्थापना कितना कारगर साबित होगा ? सवाल यह भी उठता है़ कि जो ब्लाक मिशन प्रबंधन सहित ब्लाक के अधिकारी समूहो के गठन से लेकर उनके जिम्मेदारी के क्रियाकलाप मे उदासीनता का रवैया अपना रहे है़ जिसका उदाहरण सामुदायिक शौचालय की मिली जिम्मेदारी मे खुले तौर पर देखा जा रहा है़ वे इससे भी आगे की जिम्मेदारी मे अन्य विभागो के समन्वय स्थापना मे कितना अहम साबित होगे । जिसका एक और उदाहरण पारदर्शिता , सहभागिता एवं जवाबदेही के नीति के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण ) व महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ( मनरेगा ) कार्य कर रहा सोशल आडिट (सामाजिक अंकेक्षण ) टीम है़ जिसके जिम्मेदारी मे वर्षो के व्यतीत काल से अभिन्न अंग वाले सेक्रेटरी , तकनीकि सहायक आदि से लेकर मनरेगा से सम्बन्धित विभाग भौतिक सत्यापन मे अपनी परछाई भी दिखाना मंजूर नही कर रहे है़ ।