
फाइलेरिया अभियान
खुशहाल जिन्दगी चाहें, तो फाइलेरिया की दवाएं जरुर खाएं
• स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाएं फाइलेरिया की दवा
• घर में यदि किसी को फाइलेरिया है तो जरूर बताएं
• स्वास्थ्यकर्मी लोगों के घर-घर जाकर खिला रहे दवा
संतकबीरनगर, 23 फरवरी 2020
जितेन्दर चौधरी


कहते हैं कि फाइलेरिया बीमारी जान भले न ले लेकिन जीवन तबाह कर देती है। हाथी पांव जैसी समस्या जब अपने चरम पर पहुंचती है तो चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है और मरीज घुट-घुटकर जिंदगी जीने को मजबूर हो जाता है। अवसाद जैसी समस्या उसके जीवन का हिस्सा बन चुका होता है। यह कहना है सीएमओ डॉ हरगोविन्द सिंह का जो फाइलेरिया बीमारी की विस्तृत जानकारी दे रहे थे।
डॉ. सिंह ने आगे बताया कि लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के उन्मूलन के लिए जिले में गत 17 फरवरी से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) फाइलेरिया अभियान चलाया जा रहा है। जो कि 29 फरवरी तक चलेगा। अभियान के दौरान स्वास्थ्यकर्मी फाइलेरिया से बचाव के लिए लोगों को दवाएं खिलाएंगे। उन्होने लोगों से अपील की है कि फाइलेरिया की दवा स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाएं। यदि घर या रिश्तेदारी में किसी को फायलेरिया रहा है तो यह जानकारी स्वास्थ्यकर्मी से साझा करें। फाइलेरिया की दवा का सेवन हर व्यक्ति को करना है। केवल 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को यह दवाएं नहीं खानी हैं ।
शुरू में नहीं पता चलता फाइलेरिया
जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह ने बताया कि फाइलेरिया रोग मच्छर के काटने से होता है और समान्यतः इसका संक्रमण बचपन में ही फैलता है। शुरुआत में तो इसके लक्षण एकदम पता नहीं चल पाते हैं और यह संक्रमण लासिका तंत्र (लिम्फैटिक सिस्टम) को नुकसान पहुंचाता रहता है। इलाज न होने पर धीरे-धीरे इस बीमारी से शरीर में असामान्य सूजन आ जाती है। फाइलेरिया अपने विकराल रूप में आने पर मरीज को लिंफोइडिमा (पैरों में सूजन) और हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन) से त्रस्त करता है। दोनों ही समस्याओं में मरीज का आवागम प्रभावित हो जाता है और इसके बाद मरीज में अपने दैनिक कार्य न कर पाने के कारण अवसाद का प्रभाव दिखने लगता है। फाइलेरिया रोग उत्तर प्रदेश समेत 16 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में स्वास्थ्य संबंधी एक गंभीर समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। वहीं यूपी में 2018-19 के दौरान लिंफोइडिमा के 93952 और हाइडड्रोसील के 26401 केस चिन्हित हुये।
एमडीए दवा के कई लाभ
फ़ाइलेरिया अभियान के दौरान खिलाई जाने वाली दवा से कई दूसरे लाभ भी हैं। यह दवा आंत को कृमि के प्रकोप से बचाती है। साथ ही इससे बच्चों के पोषण स्तर में सुधार आता है। उनके शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है। गौरतलब है कि वर्ष 2004 से भारत सरकार ने देश भर में लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के संक्रमण से बचाव के लिए सभी प्रभावित जिलों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) राउंड आयोजित किये हैं। एमडीए के दौरान डब्ल्यूएचओ से अनुशंसित की गई दवाइयां उन सभी लोगों को रोग के संक्रमण को कम करने के लिए यह दवाई ऐसे क्षेत्र में रहने वाल़े सभी लोगों को खिलाई जाती है जो कि एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।
रविवार को भी खिलाई गई फाइलेरिया की दवाएं
महाशिवरात्रि के अवकाश के चलते फाइलेरिया उन्मूलन के अभियान को रविवार को भी चलाया गया। आशा कार्यकर्ताओं ने महाशिवरात्रि के अवकाश के दिन का काम रविवार को पूरा किया। इस दौरान जिला मलेरिया अधिकारी अंगद सिंह के साथ ही सहायक मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार चौधरी व एपीडेमियोलाजिस्ट डॉ मुबारक अली भी फाइलेरिया की दवाओं को खिलाने के कार्यक्रम की निगरानी करते रहे।
चित्र परिचय –
1 – मुखलिसपुर मदरसे में बच्चों को दवा खिलाती हुई आशा कार्यकर्ता
2 व 3 – बेलहर में फाइलेरिया की दवा खिलाती हुई आशा कार्यकर्ता
4 व 5 – साथा में फाइलेरिया की दवा खिलाती हुई आशा कार्यकर्ता
6 – डॉ हरगोविन्द सिंह, सीएमओ