
– घर और समाज में करें खुलकर बात, बच्चों को रोगों से बचाएं
– सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खलीलाबाद में हुई संगोष्ठी



संतकबीरनगर,
माहवारी के बारे में समाज में अभी इस पर खुलकर बात नहीं हो पाती है। शर्म और हिचक छोड़ कर माहवारी के दौरान स्वच्छता अपनाया जाना सबसे जरुरी है। स्वच्छता न रखने से महिलाएं कई बीमारियों की चपेट में आ सकती हैं। बच्चियों को इस बारे में जानकारी दें, ताकि वह इन बीमारियों से बच सकें। यह बातें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खलीलाबाद के अधीक्षक डॉ राधेश्याम यादव ने माहवारी स्वच्छता पर आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहीं ।
इस अवसर पर स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ नीतू सिंह ने कहा कि मासिक धर्म अपराधबोध, शर्म या हिचक का विषय नहीं, बल्कि एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। महिलाओं को माहवारी के दौरान साफ-सफाई के महत्व को समझाना है। गांव और शहरों में रहने वाली महिलाएं आज भी इससे जुड़ी कई ज़रूरी जानकारियों से अपरिचित हैं। उनको इसके बारे में बताना आवश्यक है।
चिकित्सक डॉ रेनू यादव ने कहा कि माहवारी स्वच्छता में लापरवाही उन्हें हेपेटाइटिस बी, सर्वाइकल कैंसर, योनि संक्रमण जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित कर सकती है, इसलिए जरुरी है कि माहवारी के दौरान स्वच्छता बनाए रखें।
इस मौके पर डॉ रचना यादव ने कहा कि माहवारी के दौरान महिलाएं खुद को नियमित रुप से साफ रखें । प्रतिदिन स्नान करें तथा अपने जननांग को साफ पानी से धोएं । मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड का उपयोग करना चाहिए। माहवारी के दौरान संतुलित भोजन करना चाहिए ताकि रक्तस्राव से हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। संतुलित भोजन में फल, दूध व हरी सब्जियां खाएं। एनीमिया से बचाने के लिए आयरन युक्त भोजन जरुर खाएं जिसमें गुड़, चना, बाजरा, साग इत्यादि शामिल हैं।
कार्यक्रम में आई 16 वर्षीया किशोरी ने बताया कि उन्हें विशेषज्ञ चिकित्सकों ने माहवारी की भ्रान्तियों के साथ ही इस दौरान किए गए सुरक्षात्मक उपायों के बारे में भी जानकारी दी। 17 वर्षीया एक अन्य किशोरी ने बताया कि उन्हें माहवारी के दौरान स्वच्छता बरतने के उपायों के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त हुई है। इस जानकारी को वह अपनी सहेलियों के साथ साझा करेंगी, ताकि उनको बीमारी से बचाया जा सके।
मासिक धर्म स्वच्छता पर नियमित होते हैं कार्यक्रम
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक दीन दयाल वर्मा बताते हैं कि जिले में मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में समय समय पर आयोजित होने वाले किशोर स्वास्थ्य मंच में भी जानकारी दी जाती है । आरबीएसके टीम भी जिले के स्कूलों में जाकर किशोरियों को जागरुक करती है। पीयर एजूकेटर्स के द्वारा भी स्कूलों में बच्चों को प्रशिक्षित किया जाता है। किशोरियों को स्कूल के माध्यम से सेनेटरी पैड का भी वितरण किया जाता है। किशोर क्लीनिक के चिकित्सक भी इसके प्रति बच्चों को जागरुक करते हैं।
इस तरह पहचानें सेनेटरी नैपकिन
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शिप्रा सिंह ने बताया कि बाजार से नैपकिन खरीदते समय नैपकिन की सोखने की क्षमता 60 मिली लीटर से कम लिखी है और प्लास्टिक रहित नहीं लिखा है तो नैपकिन न खरीदे । नैपकिन पर 60 मिली लीटर पानी दो बार में 5-5 मिनट के अंतराल में धीरे धीरे डालें तथा 10 मिनट के बाद नैपकिन का सूखापन हाथ से देखें । नैपकिन से पानी वापस नहीं निकलता है तो सोखने की क्षमता मानको के अनुसार है । नैपकिन को छू कर उसकी सतह की पहचान करें कि उसकी सतह कितनी मुलायम है । पॉलिथीन का अगर प्रयोग हुआ होगा तो नैपकिन से हवा पास नहीं होगी । अतः ऐसा नैपकीन न खरीदें नहीं तो लाल दाने और खुजली जैसी समस्या सूखेपन के बावजूद हो सकती है।
माहवारी के दौरान दें इन बातों का रखें ध्यान
दाग और गंध से बचने के लिए हर चार से छ: घंटे पर पैड बदलें।
स्नान न करने के अंधविश्वास से बचते हुए नियमित स्नान करें।
जांघों के बीच के क्षेत्र को सूखा व साफ रखें अन्यथा इंफेक्शन हो सकता है।
जब भी शौचालय जाएं तो अपने जननांग को स्वच्छ कर लें।
पैड्स को अखबार या कपड़े में लपेट कर ही फेकें, संभव हो तो जला दें।