
बच्चों को जेई से बचाने के लिए जाली से ढके जाएंगे सूअरबाड़े
– 125 सूअर पालकों को वैकल्पिक रोजगार देने के लिए हो रही काउंसिलिंग
– जिले में हैं जेई वायरस के संग्राहक 1486 सूअर, इनपर है विभाग की कड़ी नजर
संतकबीरनगर


जापानीज इंसेफेलाइटिस (जेई) से बच्चों की जान बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के प्रयास जारी हैं । बच्चों की जान बचाने के लिए जेई वायरस के संग्राहक सूअरों के बाड़ों को आबादी से दूर करने के साथ ही बाड़े को जाली से ढककर रखने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि इन सूअरों को जेई वायरस के संवाहक मच्छर न काट सकें। जिले के 9 ब्लाकों में कुल 125 सूअरपालक हैं, जिनके पास 1486 सूअर हैं। इनपर विभाग के द्वारा कड़ी नजर रखी जा रही है।
जिले के इपिडेमियोलाजिस्ट (महामारी रोग विशेषज्ञ) डॉ मुबारक अली बताते हैं कि जेई प्रवासी पक्षियों के द्वारा भारत में आया। अब वह बगुला तथा उसके अन्य प्रजाति के पक्षियों में संरक्षित है। जब कोई मच्छर किसी बगुले को काटकर सूअर को काटता है तो वह उससे सूअर में चला जाता है। सूअर जेई वायरस का रिजर्वायर है। जेई वायरस से ग्रसित सूअर को काटकर जब कोई मच्छर किसी आदमी को काटता है तो वह आदमी जेई की चपेट में आता है। यही नहीं अगर कोई व्यक्ति इंसेफेलाइटिस से ग्रसित है और मच्छर उसे काटकर दूसरे किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके अन्दर जेई नहीं फैलेगा। इसीलिए सूअरों पर विशेष नजर रखी जा रही है। सूअरों को आबादी से बाहर रखने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि मच्छरों की पहुंच उनके पास तक न रहे। सूअरपालको की व्यवसाय बदलने के लिए काउन्सिलिंग की जा रही है। इसमें स्वास्थ्य विभाग के साथ ही पशु चिकित्सा विभाग और मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय समन्वित रूप से प्रयास कर रहा है। जब तक उनका व्यवसाय नहीं बदल जाता है, तब तक सूअरों को सुरक्षित करने के प्रयास निरन्तर जारी हैं।
सूअरपालकों को यह दिये निर्देश
– सूअरबाड़े मच्छरदानी से ढके जाएं ।
– बाड़ों के आसपास एण्टी लार्वल दवा छिड़की जाय।
– इन बाड़ों को आबादी से दूर बनाया जाए।
– सूअरों को पूरी तरह से स्वच्छ रखा जाए।
– सूअरपालक कोई वैकल्पिक रोजगार ढूंढे ।
– सूअरों को मच्छर न काटें, ऐसे इन्तजाम हों।
– सूअरबाड़े में कीचड़ और जलजमाव न हो ।
सूअरों को किया जा रहा है सुरक्षित – डॉ मिश्रा
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ वी के मिश्रा बताते हैं कि जेई में सूअर की सहभागिता को देखते हुए विभाग पूरी तरह से संवेदनशील है। सूअरपालको और उनके पास मौजूद सूअरों की पूरी सूची तैयार की गई है। सूअरबाड़ों को मच्छरदानी लगाकर पूरी तरह सुरक्षित किया जा रहा है। साथ ही साथ बाड़ों को आबादी से दूर कराया जा रहा है। वहां पर स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से एण्टी लार्वल दवा का छिड़काव भी कराया जा रहा है। ताकि मच्छरों के जरिए सूअरों के शरीर में संग्रहित वायरस इंसानों में न पहुंचें।