
-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रेमचंद्रनगर में स्वयंसेवकों ने बनाई खीर।
-वाल्मीकि जयंती पर हुए समरसता के कार्यक्रम, खेलकूद व बौद्धिक।
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

शरद पूर्णिमा पर विधि-विधान से धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा हुई। चंद्रदेव जी की आराधना करके रश्मियों के तले भोजन, दूध व चावल के मिश्रण का प्रसाद रखकर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। अमृत वर्षा के पश्चात सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य रक्षा की मंगलकामना करके प्रसाद ग्रहण किया गया। कुछ लोगों ने आंवला के वृक्ष के नीचे खीर आदि भोज्य पदार्थ पकाकर सेवन किया। घर के साथ मंदिर व सार्वजनिक स्थानों पर कार्यक्रम हुआ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रेमचंद्र नगर उत्तर भाग के तत्वावधान में श्रीचित्रकूट मंदिर कातवाली मार्ग गोरखपुर में उत्सव मना। शारीरिक, बौद्धिक कार्यक्रम के साथ पूजन करके स्वयंसेवकों ने प्रसाद ग्रहण किया।
प्रौढ़ प्रमुख जगदीश गुप्ता कहा कि शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन आकाश से अमृतमयी बारिश से जीवन धन-धान्य से परिपूर्ण होता है। पर्व पर निरोग रहने के साथ प्रकाश मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। अश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा का आध्यात्म व वैज्ञानिक महत्व है। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के समीप आने से किरणों से अमृत की बारिश होती है। इसके प्रभाव व भोज्य पदार्थ का सेवन से मानव निरोगी बनते हैं।
ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया है। इस खीर का सेवन सेहत के लिए महत्वपूर्ण बताया है। इससे शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है। नगर संघचालक शिवशंकर, जगत नारायण, नगर कार्यवाह शैलेंद्र, सह नगर कार्यवाह राजकुमार शर्मा, स्वामी डा. विनय, गोपाल बबुना, अखिलेश्वरधर,राजेश, रमाशंकर,ज्ञानप्रकाश पांडेय, सच्चिदानंद आदि मौजूद रहे। इसी क्रम में श्रीविश्वकर्मा मंदिर धर्मशाला, सहारा स्टेट, गीता नगर आदि स्थानों पर कार्यक्रम हुआ। बौद्धिक सत्र में महर्षि वाल्मीकि के जीवन और जीवन मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वेदना वाल्मीकि के काव्य का मूल हैं। वाल्मीकि की करुणा और चेतना वास्तव में सफलता का मूलमंत्र है। युवा पीढ़ी को वाल्मीकि रामायण और उनके सिद्धांतों को अपनाने की आवश्यकता है। वाल्मीकि रामायण विश्व साहित्य का प्रथम ग्रंथ है और वाल्मीकि विश्व के प्रथम कवि हैं। रामायण विश्व साहित्य का प्रथम उपजीव्य काव्य हैं। आदि कवि ने राजा और जनता,पिता पुत्र, पति पत्नी,प्रकृति और मनुष्य के संबंध आदि को उद्घाटित करते हुए एक उत्कृष्ट राष्ट्र का संरचनात्मक स्वरुप प्रस्तुत करते हुए आत्मसात करने के लिए विश्वजन का पथ आलोकित किया।
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