
गुरु ही राष्ट निर्माता : सोनिया

संत कबीर नगर 13 जुलाई 2022 गुरु पूर्णिमा के अवसर पर राजकीय कन्या इंटर कॉलेज की व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने गुरु समाज में अतीत काल से गुरु की महत्ता सदैव बनी रहे और आज भी उन्हें से सम्मान महत्व दिया जाता है जैसे,
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुर्साक्षात् परंब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः॥
गुरु को ब्रह्मा कहा गया है, क्योंकि वह जीव को उसी तरह सृजन करते हैं, जैसे ब्रह्मा। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा और उनका सम्मान करने की परंपरा है। गुरु ही मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और वह ही सच और गलत के साथ ज्ञान देता है।
एक सुशिक्षित समाज के निर्माण के लिए पहले गुरुकुलों में पढ़ाया जाता था जिसमें माता-पिता अपनी संतान को एक निश्चित आयु के बाद भेजा करते थे. गुरुकुल भेजने से पहले एक बच्चे का उसके घर पर ही विद्यारम्भ संस्कार किया जाता था जिसमें उसे अक्षरों, शब्दों इत्यादि का शुरूआती ज्ञान दिया जाता था. इससे वह लिखना व पढ़ना सीख पाता था. यह ज्ञान उसे उसके माता पिता देते थे. इसलिए किसी भी व्यक्ति का पहला गुरु उसके माता पिता ही होते हैं.
गुरुकुल में भेजने से पहले उपनयन संस्कार किया जाता था. जिसके पश्चात उस व्यक्ति या बालक के जीवन का पूरा आधार गुरु की दी गई शिक्षा पर निर्भर करता था. गुरु के द्वारा ही अपने शिष्यों को सामाजिक, नैतिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक मूल्यों के बारे में बताया जाता था. समाज में रहने के लिए क्या आवश्यक है और क्या नहीं, समाज के नियम, क्या सही है व क्या गलत, क्या कर्म करने चाहिए व क्या नहीं, हमारे अधिकार व उत्तरदायित्व क्या हैं. इत्यादि सभी बातें एक शिष्य अपने गुरु से ही सीखता था.
कुल मिलाकर कहें तो समाज में धर्म की स्थापना करने, उसे मनुष्यों के लिए रहने लायक बनाने, सभी को शिक्षित करने, अराजकता को रोकने, सभी का मार्गदर्शन करने में गुरुओं की ही महत्वपूर्ण भूमिका होती थी. वह एक मनुष्य को समाज में रहने के लिए तैयार करता था. इसलिए गुरुओं के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए ही गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। जो सदैव अनवरत चलता रहेगा। रिपोर्ट:- केके मिश्रा