
जिला प्रशासन की उदासीनता या खेतिहर की मनमानी जल रही खेतो की उर्वरक शक्तियां
▪खेतो की नमी प्रभावित होने की सम्भावना▪

सन्त कबीर नगर – कृषि प्रधान जनपद की पैदावार खेतिया बेतहाशा जल रही है़ अपनी उर्वरक शक्ति सहित अपने गोद से कीड़े – मकोड़े को खो रही है़ जानवरो को मिलने वाले घास भूसे जलकर राख हो रहे है़ वातावरण की शुद्धता एवं मनोहर प्रकृति की छटा बिखेरने वाले पेड़ पौधे झुलस रहे है़ । उर्वरक मिट्टी उस ऊसर भूमि से भी गयी गुजरी होने की राह पर दिखायी देती नजर आ रही है़ जहां जंगली घास को भी उगना मुश्किल होता है़ , लोगो के घर जले सो अलग । ये सब उस जिला प्रशासन के रहते हो रहा है़ जो किसान हित को देखते हुए सरकार के माध्यम से बेहतर कृषि के लिए पैदावार स्कीमे लाती है़ । ये सब उस खेतिहर के रहते हो रहा है़ जो खेत मे पहुंचने पर झुककर प्रणाम करता है़ और मिट्टी को चूमते हुए पेशानी से लगाकर ” मां ” कहता है़ । ये वह खेतिहर इंसान कर रहा है़ जिसके धर्म मे पशु पंक्षियो के लिए अनाज का कुछ हिस्सा निकालना धर्म बताया गया है़ । यही नही वह कृषि विभाग व कृषि विभाग के जाने माने जागरूक किसान कही दिखायी नही दे रहे है़ जो कृषि के लाभकारी योजनाओ को कृषि मेले मे दिखाते है़ ।
बताते चले कि गेहूं की फसल सहित जहां सैकड़ो बीघे खेत जल चुके है़ वही भूसा बनने के लिए तैयार अवशेष युक्त खेत प्लाट के प्लाट जल रहे है़ ।
उल्लेखनीय है़ कि कम्बाइन मशीन जबसे धान गेहूं की फसलो को काटने लगी है़ तबसे शेष बचे डंठलो को फूंकने की एक रिवाज चल पड़ी है़ । लोग फूंकने की क्रिया को बतौर तरजीह राख से खेत को फायदा मिलने की बात करते है़ ।